قصة الشهيد لابراهيم درغوثي مع ترجمة الى الروسية

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  • ابراهيم درغوثي
    نائب رئيس اتحاد الكتاب التونسيين
    أبو غسان
    مستشار في ملتقى الترجمة
    • 22-06-2008
    • 356

    قصة الشهيد لابراهيم درغوثي مع ترجمة الى الروسية

    1 – الشهيد

    قصة قصيرة جدا
    ابراهيم درغوثي / تونس

    وأنا أدخل باب الجبانة واجهتني الحفرة كجرح نازف
    منذ بدء الخليقة ، فذهبت أسأل حارس المقبرة عمن نبش هذا القبر .
    قال إن رجالا مهمين جاءوا منذ يومين يجمعون بقية عظام شهداء الثورة ليدفنوها في مقبرة الاستقلال.
    فقلت له إن هذا قبر الحركي الذي دل جيش فرنسا على مكان اجتماع الثوار فهاجموهم على حين غرة وقتلوا هذا الذي مازال راقدا هنا تحت التراب بينما فر بقية رفاقه تحت جنح الظلام.
    قال : تشابهت علي القبور فأشرت عليهم بهذا ، وأشار إلى الحفرة التي حوت قبر الرجل الذي عاد الثوار فذبحوه بعدما غادر جيش فرنسا الحي .
    وقال : لقد ضرب له ضابط ، سلام تعظيم ، بعدما غلفوا الصندوق الذي حوى رفاته بعلم الوطن .
    نظرت إلى قبر الشهيد الراقد في جبانة الغرباء وابتلعت لساني


    قصة( الشهيد)
    ترجمها إلى الروسية (محمد إياد فضلون )

    Мученик во им. Аллаха

    Когда заходил через дверь на кладбище меня встретила яма похожая на кровоизлияюшую рану с создание земли
    Спросил у хранителя кладбище кто вскрыл эту могилу

    сказал важные люди пришли два дня на зад, собирают останков солдат революция, чтобы перехоронит в кладбище им. Независимости .

    но это могила предателя который показал французской армии место собрание революционеров и французская армия внезапно их атаковали и увили этого который остался лежать здесь под землёй пока остальные убежали в темноте

    сказал могилы похожие, и я порекомендовал эту, и показал на могилу того мужика которого зарезали революционеры по возвращение, после того как французы ушли из района и сказал преклонился перед ним полковник после того как накрыли гроб в котором положили его останки флагом наши родины

    Посмотрел я на могилу того мученика который остался лежать на кладбище чужих и проглотил язык
    .

  • منيره الفهري
    مدير عام. رئيس ملتقى الترجمة
    • 21-12-2010
    • 9870

    #2
    و هذه من أروع القصص التي ترجمت للغات كثيرة
    نعيد قراءتها و نستعذب جمالها و خاصة الجانب الساخر منها
    كيف أن قواد عميل اصبح شهيدا ...بالصدفة ..
    أستاذي الأديب الكبير
    ابراهيم درغوثي
    حضورك يزيد ملتقى الترجمة ثراء و بهاء
    فشكرااااااا بحجم السماء لأنك هنا

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